एक देश को आगे बढ़ाने और उसका बेहतर भविष्य बनाने में सबसे ज्यादा योगदान देश के युवा का होता है I युवा देश की वह जड़ें है जो पूरे देश को मजबूती देते है I युवाओं को अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए हर रोज़ एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है I इसलिए यह जरुरी है कि एक देश का युवा चाहे वह विकसित हो या विकासशील देश उसका युवा मानसिक रूप से स्वस्थ हो I ताकि वह अपने कर्तव्यों का पालन और सामाजिक चुनौतियों का सामना सही से कर सके I इसके लिए सभी युवाओ को जागरूक होना बहुत जरुरी है I इसी को ध्यान में रखते हुए युवाओं में कानूनी मुद्दों और उनकी सांस्कृतिक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 12 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है I
आपको बता दे कि इस अंतराष्ट्रीय युवा दिवस की शुरुआत की नीव 1998 में हुए विश्व सम्मेलन में रखी गई I जहाँ सबसे पहले इंटरनेशनल यूथ डे यानी अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का सुझाव दिया गया था I सम्मेलन में सभी शामिल मंत्रियों ने युवाओ को समर्पित एक दिन का प्रस्ताव रखा I जिस प्रस्ताव के अगले साल यानी 1999 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था I इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद संयुक्त राष्ट्र सभा ने 17 दिसंबर 1999 को युवा दिवस सेलिब्रेट करने का फैसला लिया था I लेकिन बाद में इसे 12 अगस्त साल 2000 से मनाया जाने लगा I
वहीं अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर अंतराष्ट्रीय स्तर व देश विदेश में कई कार्यक्रम किए जाते हैं, इन कार्यक्रमों में वहां की सरकारें और गैर सरकारी संस्थाएं हिस्सा लेती हैं। इसके दौरान विचार विमर्श किया जाता है कि कैसे युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ा जाए और उनकी सकारात्मक शक्ति का उपयोग समाज और राष्ट्र के निर्माण में किया जाए। साथ ही युवाओ की शिक्षा,रोजगार से जुड़े मुख्य मुद्दे चर्चा का विषय होते हैं, इसके अलावा भी कई प्रकार की अन्य गतिविधियों जैसे खेल, संगीत नृत्य, लेखन आदि में देश के युवाओं ने अपना एक नया मुकाम हासिल किया है, उनको प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित किया जाता है। जिससे उनका मनोबल बढे साथ ही उनसे अन्य युवा भी प्रेरित हो सके।
हर साल एक नई थीम को चुना जाता है I जिसमें एक विषय को लेकर उसको पूरा करने के लिए लगातार प्रयास किया जाता है I बता दे कि इस बार अंतराष्ट्रीय युवा दिवस की थीम निर्धारित की गई है युवाओं के लिए हरित कौशल: एक सतत विश्व की ओर I